
रीवा जिले के मनगवां थाने में पदस्थ एक आरक्षक, अमरजीत माझी 360 को सेवा से तत्काल पृथक कर दिया गया है, और यह घटना किसी रहस्य से कम नहीं है। पुलिस लाइन में हाल ही में तैनात किए गए इस आरक्षक के खिलाफ कई गंभीर शिकायतें आईं, लेकिन क्या कारण था कि एक ऐसा अधिकारी जिसे कभी कानून के रखवाले के रूप में देखा गया, अब अपनी ही धारा से बाहर निकलने पर मजबूर हुआ? सूत्रों के मुताबिक, आरक्षक अमरजीत माझी का व्यवहार पुलिस की गाइडलाइनों के खिलाफ था, जो उसे सर्विस में बनाए रखने के लिए आवश्यक था। यह चौंकाने वाली घटना उस समय सामने आई जब जिले की पुलिस ने एक गहरी जांच के बाद पाया कि वह कई बार नियमों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर चुका था। यही नहीं, अधिकारियों के पास इसकी शिकायतें भी आई थीं, जिनमें उसके कर्तव्यों के प्रति लापरवाही और आचार-व्यवहार को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि अमरजीत माझी के खिलाफ यह शिकायतें एक लंबी प्रक्रिया का हिस्सा थीं, जिनमें उसके कार्यों से जुड़े विवाद और गाइडलाइनों का उल्लंघन प्रमुख थे। पुलिस विभाग ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया और आखिरकार उसे सेवा से पृथक करने का निर्णय लिया। अमरजीत माझी के खिलाफ कार्रवाई ने विभाग में एक बड़े सवाल को जन्म दिया है। क्या वह वास्तव में निर्दोष था, या फिर उसकी लापरवाही के कारण किसी बड़ी साजिश का हिस्सा बना? जब तक जांच जारी रहती है, यह कहानी एक गहरे रहस्य की तरह बनी रहेगी