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IPO: कंपनियां देश-विदेश से पूंजी हासिल करने के लिए स्टॉक बाजार में आरंभिक सार्वजनिक निर्गत (आईपीओ) लाती हैं। यह आईपीओ निवेशकों के लिए पेश किया जाता है और निवेशक इसमें अपनी पूंजी लगाते हैं। कंपनियों के लिए बाजार से फंड इकट्ठा करने का यह सबसे प्रभावी उपाय है, लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण प्रश्न छिपा हुआ है। यह कि जब कंपनियां अपना धन जुटाने के लिए आईपीओ पेश करती हैं, तो निवेशकों को इससे लाभ कैसे मिलेगा? आखिरकार, किसी निवेशक को किसी कंपनी के IPO में निवेश करने की प्रेरणा क्या होगी? यह प्रश्न प्रासंगिक और उचित है। चलो, इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानते हैं.
नई कंपनियां अपने विकास के लिए धन हासिल करने के लिए सार्वजनिक हो सकती हैं। इसके अलावा, स्थापित कंपनियां अपने संचालन को बढ़ाने के लिए आईपीओ प्रस्तुत करती हैं। कुछ कंपनियां अपने घरेलू खर्चों को पूरा करने के लिए भी आईपीओ जारी कर सकती हैं।
IPO जारी करने की संपूर्ण प्रक्रिया SEBI, अर्थात् Securities and Exchange Board of India की देखरेख में होती है। जब कोई कंपनी आईपीओ जारी करने की योजना बनाती है, तो उसे SEBI के सभी विनियामकों का पालन करना आवश्यक होता है। उस कंपनी को आईपीओ लाने के प्रयोजनों से लेकर संपूर्ण जानकारी SEBI को प्रदान करनी होती है। आईपीओ एक सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होता है, यानी यह 3 से 5 दिनों तक खुला रह सकता है। जब निवेशक आईपीओ में भाग लेते हैं तो वे सीधे कंपनी से शेयर प्राप्त कर रहे होते हैं। इसे प्राथमिक बाजार कहा जाता है।
निवेशक जब प्रस्तावित मूल्य पर स्टॉक को खरीदता है। यदि कंपनी उच्च कीमत पर शेयर बाजार में प्रवेश करती है, तो निवेशक को फायदा होता है. इसके अलावा, सार्वजनिक सेवा निवेशकों को कभी भी शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करती है।
जिससे निवेशक तय कर सकता है कि वह इस कंपनी में निवेश करना चाहेगा या नहीं. जब कंपनी शेयर बाज़ार में आती है, तो निवेशकों को शेयर सस्ते दाम पर खरीदने का अवसर मिल जाता है. जिससे भविष्य में अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है. अब तक के सबसे बड़े आईपीओ Reliance Power, DLF, ICICI Life Insurance जैसी कंपनियों के आईपीओ रहे हैं।
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