
मऊगंज में साइबर ठगी का शिकार हुई निशा, ऑनलाइन दोस्ती बनी मुसीबत
मऊगंज की 21 वर्षीय निशा विश्वकर्मा को एक साइबर अपराधी ने मीठी-मीठी बातें कर अपनी जाल में फंसाया। खुद को निशा का भाई बताते हुए उसने विश्वास जीत लिया और गिफ्ट के तौर पर हीरे की अंगूठी, 13 तोला सोना और 7 लाख रुपए भेजने का झांसा दिया। लेकिन यह सब एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। साइबर अपराधी के बाद गैंग के दूसरे सदस्य ने कॉल कर दावा किया कि निशा का पार्सल फंस गया है और 15 हजार रुपए की मांग की। धमकाते हुए कहा कि अगर पैसे नहीं दिए तो उसे एक घंटे के अंदर अरेस्ट करवा देंगे। कॉलर की डीपी पर इंस्पेक्टर की वर्दी में किसी व्यक्ति की तस्वीर थी, जिससे निशा डर गई। चार किस्तों में कुल 46 हजार रुपए ट्रांसफर करवाए गए। सप्ताह भर में निशा को 8 अलग-अलग नंबरों से कॉल आईं। हर बार अपराधी ने खुद को कस्टम, सीबीआई या किसी अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताया और गिरफ्तार करने की धमकी दी। निशा परेशान हो गई, और अंततः उसने 13 जनवरी को कमिश्नर कार्यालय में आवेदन दिया। 16 जनवरी को निशा ने नईगढ़ी थाने में मामला दर्ज कराया और अपराधियों से हुई बातचीत के चार ऑडियो पुलिस को सौंपे। इन ऑडियो में अपराधियों की आवाजें साफ सुनाई देती हैं, जो इस ठगी की कहानी को और भी रहस्यमय बना देती हैं। सवाल यह है कि इन शातिर अपराधियों तक पुलिस कैसे पहुंच पाएगी और क्या निशा की मदद से इस बड़े साइबर अपराध रैकेट का पर्दाफाश हो सकेगा? यह जांच अब पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है