
सीधी, मध्य प्रदेश: ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना के लिए भू अधिग्रहण से परेशान आदिवासी ग्रामीणों और शिवसेना नेता द्वारा सीधी जिले में किए गए जल सत्याग्रह के दौरान पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के आरोप सामने आए हैं। सत्याग्रह में शामिल आदिवासी समुदाय के लोगों और नेताओं के साथ जमोड़ी और सिटी कोतवाली थाना प्रभारीयों द्वारा धक्का-मुक्की की गई और पुलिस ने उन्हें बर्बरता से घसीटते हुए थाना ले जाया।
यह घटना गोपाल दास बंधा में हुई, जहां आदिवासी लोग और शिवसेना नेता सीधी जिला प्रशासन के खिलाफ जल सत्याग्रह कर रहे थे। इन लोगों का आरोप था कि ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना के तहत उनके भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे वे परेशान हैं। सत्याग्रह में शामिल लोगों का कहना था कि उन्हें प्रशासन से अपनी समस्याएं और मांगें रखने का अवसर नहीं दिया गया।
हालांकि जिला प्रशासन ने पुलिस को सत्याग्रह पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, इसके बावजूद लोगों ने दूसरे रास्ते से जल सत्याग्रह करने के लिए गोपाल दास बंधा के गहरे पानी में उतर गए। सत्याग्रहियों का कहना है कि उन्हें प्रशासन से बात करने तक की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें शांतिपूर्वक अपने मुद्दे उठाने का मौका नहीं दिया गया। पुलिस ने उनकी शांतिपूर्ण विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश की और उन्हें जबरदस्ती घसीटते हुए थाने ले गए।
सत्याग्रह में शामिल नेताओं और आदिवासियों का कहना है,
“क्या देश में जल सत्याग्रह करना अब अपराध हो गया है, जिसका जन्म सत्याग्रह से हुआ था?”
उनका यह भी कहना है कि वे अपनी जमीन के अधिकारों और न्याय के लिए संघर्ष करेंगे,
चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका और सत्याग्रहियों के प्रति उनके बर्ताव पर सवाल उठ रहे हैं।
फिलहाल सीधी जिला प्रशासन और पुलिस मामले की जांच कर रही है