
भाजपा कार्यकर्ता आलोक त्रिपाठी पर रॉड से हमला करना और उनकी जान को खतरे में डालना यह दर्शाता है कि राजनीतिक विवादों और पुरानी रंजिशों के कारण किस हद तक हिंसा का सहारा लिया जा सकता है। ऐसा लगता है कि यह हमला किसी निजी दुश्मनी का परिणाम था, जो अब एक बड़ी हिंसक घटना में बदल चुका है।
सिविल लाइन थाना अंतर्गत रेल्वे मोड़ के पास भाजपा कार्यकर्ता आलोक त्रिपाठी पर हुआ प्राणघातक हमला। रॉड से सर पर किया हमला। संजय गांधी अस्पताल में भर्ती युवक के सर में 14 टांके लगे। पिस्टल के साथ पहुंचे थे आरोपी शानू गर्ग,अंकुश दुबे, लवी तिवारी। पुरानी रंजिश के चलते हुआ था विवाद। सीसीटीवी फुटेज आया सामने। जांच में जुटी पुलिस।
सीसीटीवी फुटेज का सामने आना पुलिस के लिए मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि इससे हमलावरों की पहचान और घटनाक्रम को स्पष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा, पिस्टल के साथ पहुंचे आरोपियों का होना भी चिंता का विषय है, क्योंकि इससे हिंसा का स्तर और बढ़ जाता है।
यह मामला इस बात का भी संकेत है कि राजनीतिक और व्यक्तिगत विवादों को सुलझाने के लिए हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया जाना चाहिए। पुलिस को इस मामले में पूरी तफ्तीश करनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं कम हों।
आपको क्या लगता है, इस मामले में पुलिस को क्या कदम उठाने चाहिए ताकि इस तरह की हिंसा को रोका जा सके?