
हाईकोर्ट ने रीवा कलेक्टर को लगाई फटकार, लंबित मुआवजा प्रकरण में उठाए कड़े सवाल
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को एक लंबित मुआवजा प्रकरण में जमकर फटकार लगाई। यह मामला जिले के पड़रा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जहां 1993 से मुआवजे का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। कोर्ट ने कलेक्टर से सख्त लहजे में कहा कि आप कलेक्टर इसलिये नहीं बनाई गईं हैं कि आप नागरिकों के वाजिब हकों का उल्लंघन करें। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान कलेक्टर रीवा को 8 जनवरी 2025 को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। जब निर्धारित तिथि पर कलेक्टर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुईं, तो जस्टिस अग्रवाल ने कारण पूछा। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि कलेक्टर के पति अस्वस्थ हैं, जिस कारण वे उपस्थित नहीं हो सकीं। हालांकि, कोर्ट ने इसे पर्याप्त कारण मानने से इनकार किया और कलेक्टर को उसी दिन शाम 4 बजे तक कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। इसके बाद कलेक्टर को अदालत के समक्ष पेश होना पड़ा, जहां न्यायालय ने उनसे यह भी पूछा कि इस मामले में नोटिस कब जारी किया गया, कब चेक जारी किया गया और चेक के लिये नोटिस भेजी गई थी। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि इस प्रकरण में स्थगन आदेश होने के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
न्यायालय ने इस प्रकरण के संदर्भ में सभी दस्तावेजों और कार्रवाई की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्थगन केवल और केवल पजेशन यानी कब्जा लेने से संबंधित था, न कि मुआवजा भुगतान के मामले में। इस मामले में कलेक्टर की लापरवाही और प्रशासनिक अक्षमता पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को नागरिकों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और हर प्रकरण में समयबद्ध तरीके से कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए।