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मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों का निधन वन विभाग के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 29 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच हुई, जिसमें जहर से प्रभावित 13 में से 10 हाथियों की जान चली गई। इन मरे हुए हाथियों में 9 मादा और 1 नर शामिल हैं। कृषि विशेषज्ञ केपी तिवारी का मानना है कि इस प्रकार की समस्याएं लगातार बारिश के बाद मौसम के गर्म होने से उत्पन्न होती हैं।
यह बताया गया है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इन हाथियों की मौत का कारण कोदो पर विकसित होने वाला फंगस है। देश के 10 प्रमुख प्रयोगशालाओं से रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है ताकि फंगस संक्रमण की सही पहचान हो सके।
जांच में पाया गया है कि हाथियों ने अधिक मात्रा में खराब कोदो का सेवन किया था, जिसमें साइक्लोपियाजानिक एसिड पाया गया। यह एसिड सभी हाथियों में अधिक मात्रा में मौजूद है। वहीं, खेतों की फसलों में किसी भी कीटनाशक के प्रयोग के प्रमाण नहीं मिले हैं और किसानों ने भी इसके उपयोग की बात से इंकार किया है।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये संकेत स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि हाथियों की मृत्यु फंगल संक्रमण के कारण हुई है। अब इस फंगस के प्रकार का पता लगाना आवश्यक हो गया है ताकि भविष्य में ऐसा न हो। इसके लिए देश की 10 प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया जा रहा है।
विभाग के वन्य जीव पशुचिकित्सक लगातार संपर्क में हैं। इस मायकोटॉक्सिन की विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए आइवीआरआइ बरेली, डब्ल्यूआईआई देहरादून, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, सागर, सीसीएमबी हैदराबाद के विशेषज्ञों से भी सलाह ली जा रही है।
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