पिछले 7 सालों में 22 लाख स्टूडेंट्स कम हुए, स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में दी जानकारी
मध्यप्रदेश में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या लगातार घट रही है। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में जानकारी दी कि पिछले सात सालों में 22 लाख छात्रों की संख्या में कमी आई है। आइए जानते हैं पूरी रिपोर्ट।
मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर बेहतर करने के दावे के बावजूद सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि 2016-17 से 2023-24 तक सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक 12 लाख 23 हजार 384 छात्र कम हो गए हैं।
कक्षा 1-5: 6,35,434 छात्र घटे
कक्षा 6-8: 4,83,171 छात्र घटे
कक्षा 9-12: 1,04,479 छात्र घटे
वहीं, निजी और सरकारी स्कूलों को मिलाकर कुल 22 लाख छात्रों की कमी हुई है। कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2010-11 में सरकारी स्कूलों में नामांकन 105.29 लाख था, जो 2022-23 में घटकर 65.48 लाख रह गया।
प्रदेश की आबादी बढ़ रही है, लेकिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही है। सरकार को इस पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। मंत्री ने इस गिरावट के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि छह साल तक की उम्र के बच्चों की जनसंख्या में कमी, डेटा प्यूरिफिकेशन और चाइल्ड ट्रैकिंग के कारण छात्रों की संख्या घटी है। उन्होंने श्वेत पत्र जारी करने से इनकार कर दिया।
छह साल तक की उम्र के बच्चों की संख्या कम हुई है। यह डेटा ट्रैकिंग और प्यूरिफिकेशन का परिणाम है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में साउथ कोरिया और दिल्ली जैसे एजुकेशन मॉडल लागू करने के दावे किए गए थे। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने देश और विदेश में कई अध्ययन यात्राएं की हैं, लेकिन जमीन पर हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी गिरावट क्यों हो रही है और इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना बाकी है। फिलहाल, सरकार की नीतियों और योजनाओं पर सवाल उठ रहे हैं।