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हिंदू धर्म में कुंभ मेला बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है। कुंभ की विशालता और प्रतिष्ठा का आभास आपको इस बात से हो सकता है कि कुंभ में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। अगला महाकुंभ, प्रयागराज इलाहाबाद में होने वाला है। इसका आयोजन केवल प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही किया जाता है।
कुंभ का आरम्भ पौष पूर्णिमा स्नान से होता है, जो कि 13 जनवरी 2025 को है। महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समाप्ति होगी।
महाकुंभ की पौराणिक कथा
महाकुंभ की पौराणिक कहानी समुद्र मंथन से संबंधित है। कहानी कहती है कि जब एक बार राक्षसों और देवताओं ने समुद्र का मंथन किया, तो उस समय मंथन से प्राप्त सभी रत्नों के वितरण का फैसला हुआ। सभी रत्नों का बंटवारा राक्षसों और देवताओं ने सहमति से किया, लेकिन इस दौरान उत्पन्न अमृत को लेकर दोनों पक्षों में संघर्ष शुरू हो गया।
इस स्थिति में अमृत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने उसे अपने वाहन गरुड़ को सौंप दिया। जब असुरों ने देखा कि अमृत गरुड़ के पास है, तो उन्होंने इसे छीनने की कोशिश शुरू कर दी। इस खींचतान में अमृत की कुछ बूँदें धरती पर चार स्थानों पर, यानी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। जहाँ-जहाँ ये बूँदें गिरीं, वही हर 6 साल में अर्ध और 12 साल पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
समुद्र-मंथन के समय देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक अमृत हासिल करने के लिए संघर्ष हुआ था। इसलिए महाकुंभ हर स्थल पर एक वर्ष के बाद आयोजित होता है।
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