
गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल: रीवा में मुस्लिम समाज ने किया रामलाल यात्रा का भव्य स्वागत
धार्मिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक अद्भुत मिसाल पेश करते हुए, रीवा के मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू धर्म की शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया। यह अनोखा दृश्य श्री राम दरबार अखिल आर्यावर्त संगठन द्वारा रामलाल प्राण प्रतिष्ठा एवं मां बिहार गंगा आरती के वार्षिकोत्सव के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान देखने को मिला। हजारों की संख्या में शामिल इस शोभायात्रा को विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा, पानी और स्वल्पाहार से स्वागत किया गया। लेकिन सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा उस क्षण ने, जब यात्रा के धाम पहुंचने से ठीक पहले मुस्लिम समाज के लोगों ने फूलों की वर्षा कर यात्रियों का अभिनंदन किया। यही नहीं, उन्होंने अपने हाथों से पानी की बोतलें देकर यात्रियों का स्वागत किया। यह दृश्य न केवल धार्मिक सौहार्द का प्रतीक था, बल्कि मानवता और भाईचारे का भी जीवंत उदाहरण बन गया। इस दौरान बनाया गया वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में मुसलमानों की आत्मीयता और श्रद्धालुओं का उनके प्रति आभार भाव स्पष्ट रूप से झलक रहा है। इस घटना ने रीवा के सामाजिक सौहार्द और सह-अस्तित्व की भावना को एक नई ऊंचाई दी है। रीवा की यह घटना अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है। लोग इसे भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी विविधता का प्रतीक मान रहे हैं। शोभायात्रा में शामिल रहे लोगों ने इसे एक अविस्मरणीय क्षण बताया और कहा कि यह गंगा-जमुनी तहज़ीब का एक शानदार उदाहरण है,
जिसे आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। इस घटना ने न केवल सामाजिक ताने-बाने को मजबूत किया है, बल्कि यह साबित किया है कि धर्म की सीमाएं इंसानियत और आपसी सौहार्द के आगे बौनी पड़ जाती हैं। रीवा की इस पहल ने पूरे देश को यह संदेश दिया है कि विविधता में ही हमारी सच्ची एकता है। रीवा में इस घटना के बाद माहौल न केवल उत्साहपूर्ण है, बल्कि सौहार्द और आपसी विश्वास से भी भरपूर हो गया है। क्या यह घटना देशभर में धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता को एक नई दिशा दे पाएगी? इस सवाल का जवाब तो आने वाला समय ही देगा, लेकिन फिलहाल रीवा ने यह साबित कर दिया है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं।