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आजकल जब एक तरफ देशभर में लोग अपने बच्चों को महंगे प्राइवेट कॉन्वेंट स्कूलों में भेजने की होड़ में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर मैहर की एसडीएम डॉक्टर आरती सिंह ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की एक अनूठी पहल की है। उन्होंने अपने बेटे जैथविक पटेल को आंगनबाड़ी में भेजने का फैसला लिया है, जो समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
गुरुवार को, मैहर के रामनगर ब्लॉक की एसडीएम डॉक्टर आरती सिंह इटमा कलां स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण करने पहुंची थीं। यहां उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्योत्स्ना जायसवाल और सहायिका सरला कुशवाहा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपने बेटे का नाम रजिस्टर में दर्ज करने को कहा। यह सुनकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और वहां मौजूद सुपरवाइजर सतनाम कौर समेत अन्य कर्मचारी हैरान रह गए। एसडीएम के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया क्योंकि आमतौर पर सरकारी अधिकारी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने का रुझान रखते हैं।
एसडीएम डॉक्टर आरती सिंह ने इस फैसले के बाद बच्चों के साथ खेल-खेल में शिक्षा की गतिविधियों में भी भाग लिया। उन्होंने बच्चों के साथ बड़े और छोटे समूह बनाने का खेल खेला, जिससे बच्चे बहुत खुश दिखे। इस दौरान उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि अगर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपने बच्चों को आंगनबाड़ी या सरकारी स्कूलों में भेजें, तो इससे शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार हो सकता है। इससे बच्चों को भी सरकारी शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता का वास्तविक अनुभव होगा और समाज में बदलाव आएगा।”
यह पहल न केवल सरकारी अधिकारियों को बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों के प्रति अपनी सोच बदलने की प्रेरणा देती है। एसडीएम के इस कदम से यह संदेश जाता है कि यदि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारना है तो सभी को समान शिक्षा के अवसरों की तरफ ध्यान देना होगा, और यह शुरुआत सरकारी अधिकारियों से हो सकती है।
यह कदम एक बड़ा उदाहरण बन सकता है, जहां सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी और भूमिका का अहसास हो, और वे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए व्यक्तिगत तौर पर योगदान दे सकें। एसडीएम डॉक्टर आरती सिंह की यह पहल न सिर्फ मैहर, बल्कि पूरे क्षेत्र में सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रति विश्वास और समर्थन को बढ़ावा दे सकती है।
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